My Novel Prapatti - Sharangat---
Story line – Surrender –
मराठवाड़ा औरंगाबाद ज़िले मे कन्नड़ नाम का एक छोटा सा गाँव है, जो चारों तरफ से खूबसुरत ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है ! गाँव मे हर ज़ाती धर्म के लोग बसते हैं, लेकिन ऊंची ज़ाती के लोगों का गाँव मे दबदबा और बोलबाला रहता हैं ! गाँव मे एक बहुत बड़ी बस्ती आदिवासी समाज की भी रहता हैं ! गाँव के ज़्यादातर लोगों का मुख्य करोबार खेती करना होता हैं, गाँव के गरीब और आदिवासी लोग अमीरों के यहाँ महनत मज़दूरी या सालदारी कर के अपने परिवार का पालनपोशन करते हैं ! मगर गाँव के उच्च ज़ाती के लोगों का इन पर ज़ुल्मो सितम होता रहता है, और ये गरीब मज़दूर और आदिवासी लोग ख़ामोशी से सहते रहते हैं. किसी की उन के सामने ज़बान खोलने की हिम्मत नहीं होती, ये सिलसिला यूं ही बरसों से चला आ रहा है और आज भी चल रहा हैं !
इसी गाँव मे मराठा समाज से ताल्लुक रखने वाला विश्वाश भी रहता है, जो एक स्कूल मास्टर है, जिस की गाँव के गरीब और खास कर आदिवासियों मे बहुत इज्ज़त है, किंवकि वो हमेशा किसी भी समाज कार्य मे लोगों की मदत किया करता है ! पर गाँव मे प्रस्तापित समाज उस की नेता गिरि से हमेशा नाराज़ रहता है ! पर विश्वाश को इस की कोई परवाह नहीं रहती और वो अपनी नौकरी से बराबर समय निकाल कर लोगों के सुखदुख मे काम किया करता है !
इसी गाँव मे रवि अपना वेल्डिंग वर्कशॉप चलता है जो विश्वाश का अच्छा दोस्त भी है, किंवकि रवि और विश्वाश के विचार हमेशा एक दूसरे से मिलते हैं, जिस के कारण रवि भी विश्वाश के साथ साथ समाज कार्य मे हमेशा उस के साथ साथ रहता है, जिस के कारण रवि को भी गाँव के प्रस्तापित लोगों की जली कटी बातों का सामना करना पड़ता है ! रवि का वर्कशॉप गाँव के लोगों की बैठक का अड्डा है, लोग जमा हो कर गप्पे मारते बैठे रहते हैं ! पूरे गाँव की ख़बर यहाँ से मिल जाती है कहाँ क्या चल रहा है !
इसी गाँव मे रामजी नाम का बहुत ही बड़ा सावकार भी रहता हैं,जिस की हुकूमत पूरे गाँव पर चलती है,ज़ालिम,हुकुम शाह जिस के सामने किसी की भी नज़र मिला कर बात करने की हिम्मत नहीं होती है,सैंकड़ों एकर ज़मीन का धनी,खेती मललों खललों का मालीक, और गाँव के गरीबो को ब्याज से पैसे बाटने वाला सावकार है,जिस के कारण गाँव और तालूका के सरकारी अधिकारियों का मंत्री संत्रियों का,उस के यहाँ आना जाना लगा रहता है,उन की सेवा के लिए लाखो रुपैया खर्च किया करता है,और उस के बदले उन से अपने सरकारी काम आसानी से करवा लिया करता है,उस के रास्ते मे कोई नहीं आता, अगर आ भी गया तो वो, मूँगी की तरह मसल कर रास्ते से हटा देता है,उस की ज़बान से निकला शब्द हुकूम होता है,क़ानून होता है,वो गाँव का राजा है.
पीरोजी रामजी का बेटा है,जो अपने बाप के नक्शेकदम पर चलता है,बाप की बेशुमार दौलत ने उसे शराबी कबाबी,घमंडी,ज़ालिम,और अय्याश बना दिया है,और गाँव मे आतंक मचाता रहता है,गाँव की बहू बेटियों का घर से बाहर निकलना दुशवार किया करता है,आदिवासी लोगों पर ज़ुल्म किया करता है,उन की बहू बेटियो को उठा ले जाता है,और उन की इज्ज़त से खिलवाड़ किया करता है,गाँव मे उस की भी दहशत लोगों के दिलों मे रहती है,हमेशा उस के साथ शराबी कबाबी दोस्तों का टोला रहता है.गाँव का डॉक्टर शिवदास पाटील,जिस के पास डॉक्टर की नकली डिग्री है,वो हमेशा पीरोजी के साथ हर बुरे काम का भागीदार बनता है.
अरनालकर गाँव की एक स्कूल संस्था का अध्यक्ष है,जो गाँव मे कभी कभार इलेकशन लड़ता है,और इलकशन के लिये रामजी से पैसा लिया करता है,और रामजी की मदत से इलेकशन जीत भी जाता है,रामजी का बहुत ही करीबी साथी है,जो रामजी के लिए हर अच्छे बुरे काम मे उस का साथ दिया करता है.
इंस्पेक्टर धनबोले-भिजवाय-मांजे-भ्रष्टाचारी पोलिस अधिकारी हैं,जो रामजी-पीरोजी-अरनालकर के इशारो पर काम किया करते है.और क़ानून के रखवाले क़ानून की धज्जिया उड़ाया करते है,रामजी रिश्वत दे कर उन से अपना का करवाया करता है.
पथव्या गाँव का आदिवासी युवक है,जो विश्वाश और रवि की संगत मे रह कर आदिवासी समाज के प्रबोधन के लिये काम करता है.और समय समय पर विश्वाश से सलाह मशवरा लिया करता है,जिस के कारण आदिवासी समाज मे परिवर्तन होना शुरू हो जाता है,वो अपने अधिकार को समझने लगे,सरकार ने जो आदि वासियों के लिये जो योजनाये बनाई हैं,वो उन योजनाओं को समझने लगे,उन से कैसे लाभ उठाया जाये समझने लगे थे,शिक्षण के महत्व को समझने लगे,अपने बच्चो को स्कूल,और आश्रमस्कूल मे बेजने लगे थे,बाल विवाह की जो उन मे प्रथा थी,उस प्रथा को बंद करने लगे थे,और लड़कों के साथ साथ लड़कियों के शिक्षण पर उन लोगों ने ध्यान देना शुरू कर दिया था,और अब अनपढ़ और जाहील समाज,बिखरा हुआ समाज,जंगलों और पहाड़ों पर ज़िन्दगी बीताने वाला समाज अब सुधरने लगा,सवरने लगा था.संघटन हो कर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने लगा….जिस का क्रेडिट विश्वाश को जाता है.
अगर विश्वाश उन अनपढ़ जाहिल आदिवसियों को शिक्षण का महत्व नहीं समझाता,अपने अधिकार क्या है,नहीं साझाता तो,गाँव के ये आदिवासी गरीबी-लाचारी-मजबूरी-और समाज के उच्च वर्ग लोगों के सामने अपनी जगह कैसे बना पाते थे,इसी लिये विश्वाश को गाँव का हर आदिवासी बंदा अपना सच्चा हमदर्द मानने लगा था,और विश्वाश भी निस्वार्थी हो कर हमेशा उन्हे तरक़्क़ी की तरफ़ ले जाना चाहता था.अब आदिवासी पथव्या विश्वाश की छत्रछाया मे रह कर,और समाज सेवक के सारे गुर सीख कर,आदिवासियों के लिये विविध सरकार की योजना ले कर आने लगा,जिन के पास ज़मीन नहीं थी,उन को सरकार से ज़मीन दिलाने लगा,गरीबी रेषा मे आने वालों के लिये घरकुल की योजना,आदिवासियों मे तरक्की किस तरह से होगी,उस की कोशिश मे पथव्या विश्वाश मास्टर के मार्गदर्शन मे करने लगा था,आदिवासियों का संघटन बना कर आदिवासी सम्मेलन भी करने लगा था,आदिवासियों का सच्चा और महनती समाज सेवक बनता जा रहा था.
मगर ये बात गाँव के प्रस्तापित लोगों को अब खलने लगी थी,अगर गरीब आदिवासी शिक्षण ले कर हुशार हो गया,उसे अक़ल आ गई तो, वो अपने अधिकारों को समझने लगेगा,सरकार से अगर वो योजनाओं से फायदा लेने लगा,वो तो हमारी बराबरी मे आ कर खड़ा हो जायेगा,उस के दिल से हमारा डर और खौफ़ तो निकल जायेगा,अगर उन लोगों ने पढ़ लिख लिया तो हमारे खेतों मे,हमारे घरों मे काम कौन करेगा,मज़दूरी कौन करेगा,सालदारी कौन करेगा,ये बात सोच कर उन प्रस्तापित लोगों के पैरोंतले ज़मीन खिसक जाती है,किंवकि अब आदिवासी अपने अधिकारों को समझने लगा था,उन आदिवासियों को मदत करने,उन्हे हुशार और शिक्षण का महत्व समझाने का ज़िम्मेदार वो लोग, विश्वाश को समझते है और रवि को,इन दोनों के कारण ये लोग हमारी बराबरी करना चाहते है,विश्वाश और रवि आदिवासियों का नेता बनना चाहते हैं,अब वो लोग किस तरह विश्वाश और रवि को आदिवासियों की नेतागिरि करने से दूर करना,इस मौके की उधेड़बुन मे लगे रहते थे,अब वो लोग मौक़े के इंतज़ार मे लगे रहते हैं कि, कब और कैसे मौक़ा मिले और विश्वाश और रवि को फसाया जाये.
एक रात रामजी अपने घोड़े चेतक पर सवार,एक कंधे पर बंदूक लगाये और दूसरे कंधे पर बड़ी सी बेट्री लगाये,सैर सपाटे के लिये अपने खेत पर चला जाता है,खेत मे इधर उधर नज़रें दौड़ता है.
उसी रात गाँव का आदिवासी मलल्या हाथ मे कोयता लिये, जड़ीबूटी की तलाश मे,जंगल मे घूम रहा है,किंवकि उस कि पत्नी हौसा को बच्चा होने वाला है,मगर वो तकलीफ से चिल्ला रही है,बस्ती मे ना कोई दाई है ना डॉक्टर,मलल्या सोचता जंगल से जड़ीबूटी ला कर पीलाता हूँ,जिस से बच्चा जल्दी हो जायेगा,बस यही सोच कर वो रात के समय जंगल मे आया है,और इधर उधर जड़ी तलाश कर रहा है.रामजी बेट्री चमकाता उजाले मे उसे मलल्या नज़र आता,और सोचता चोरी करने आया है,मलल्या उसे देख घबरा जाता और भागने लगता है,रामजी उस पर गोली चला देता है,मलल्या उसी समय दम तोड़ देता है.
गोली की आवाज़ सुन कर,आदिवासी लड़का दगडया जो नदी किनारे खेकड़ा पकड़ने आया है, रामजी को पथव्या पर गोली चलाते देख लेता है,पथव्या ख़ून मे लतपत पड़ा है,फिर रामजी अपने बेटे पीरोजी को फोन कर के बुलाता है,और कहता इस चोर की लाश ठिकाने लगा...पीरोजी अपने बाप से कहता,आप जाईये..चिंता ना करे,मै इसे ठिकाने लगा दूंगा..रामजी चला जाता है,फिर पीरोजी मलल्या की लाश को घसीट कर जानवरों के गोठे मे लाता है,जहां पर पहले से ही एक जीप गाड़ी खड़ी है,पीरोजी जीप के अंदर से ऑईल का डिब्बा निकाल कर मलल्या की बॉडी पर छिड़कता और बॉडी को आग लगा देता है,लाश की शक्लसूरत ख़राब हो जाती,फिर एक गोनी मे लाश भर कर जीप मे डालता और नदी के पूल पर से फेंक देता है,ये पूरा नज़ारा दगडया देखता और फिर वहाँ से भाग कर गाँव मे आता.रात से सुबह हो गई.हौसा ने बच्चे को जनम दिया है...वो अपने पति के आने का इंतज़ार कर रही है,वो दगडया से कहती मेरा पति रात को जंगल मे जड़ीबूटी लाने गया था,मगर अभी तक वापस आया नहीं,हौसा की बात सुन कर दगडया सुन्न रह जाता,उस के मुंह से अलफाज नहीं निकलते है,वो सोचता कैसे ख़बर दूँ कि रामजी ने उस का ख़ून कर दिया...अब उस क पति दुनियाँ मे नहीं रहा,उस की कुछ भी समझ मे नहीं आता है क्या किया जाये,फिर उस के दिमाग मे ख़याल आता कि पथव्या से मिल कर कोई रास्ता निकाला जाये.
दगडया अपने आदिवासी नेता पथव्या को मिलकर कैसे रामजी ने मलल्या का ख़ून किया,और कैसे पीरोजी ने उस की लाश को जला कर, सारे सुबूत मिटा कर,बोरे मे भर कर, नदी मे फेंका, सारी घटना उसे बताता है,पथव्या सुन कर दंग रह जाता है.और पथव्या कहता...वैसे रामजी ने इस से पहले भी कई आदिवासियों का ख़ून किया है,मगर आज तक क़ानून उस का कुछ बिगाड़ नहीं सका.लेकिन अब वो दिन बीत गये...हम रामजी और उस के बेटे को उस के कर्मो की सज़ा दिलवा कर ही रहेंगे.
पथव्या कुछ सोच कर दगडया को बोला चल पहले हुझे वो जगह दिखा जहां पर मलल्या का ख़ून हुआ,दोनों उस जगह पर जाते हैं,वहाँ पर एक बहुत बड़ा चंदन का झाड है उस मे बंदूक की कुछ गोलीयां फसी नज़र आती हैं,झाड के अंदर से बंदूक की कुछ गोलियां निकालता है,पास ही ज़मीन पर सूखे ख़ून के धब्बे भी नज़र आते हैं,पथव्या अपना मोबाईल निकाल कर फोटो निकाल लेता और सारे सबूत इखट्टा कर के वापस गाँव मे आता है.
मलल्या की पत्नी अपने मासूम बच्चे को लेकर झोपड़ी मे बैठी है, पथव्या और दगडया को देख कर खुश होती कि, ये दोनों अब मेरे पति की ख़बर देंगे. लेकिन पथव्या उसे बताता की रामजी ने उस का खून कर दिया, और दगडया ने ख़ून होते देखा,ये बात सुन कर उस की पत्नी रोती हैं, सारे आदिवासी जमा हो जाते हैं, और रामजी पर अब सारे गुस्सा होते हैं, दोनों उन्हे समझाते कि, हमारे पास गवाह भी है और रामजी के खिलाफ़ सारे सबूत भी है, अब हम रामजी को सज़ा दिलवाकर रहेंगे. और फिर पथव्या और दगडया वहाँ से निकलते....चलो विश्वाश मास्टर के पास...वो हमे आगे कया करना,कैसे करना,मार्गदर्शन देंगा.दोनों विश्वाश के पास जाते हैं. और मलल्या के खून की सारी हक़ीक़त बताते हैं.
सारी कहानी सुनने के बाद मास्टर ने कहां सब से पहले मलल्या की पत्नी की फिर्याद पोलिस स्टेशन मे दो, और दगडया का नाम भी चश्मदीद गवाह के तौर पर फिर्याद मे डालना जाओ जल्दी पोलिस स्टेशन !
पथव्या-दगडया और मलल्या की पत्नी हौसा, और भी बहुत से आदिवासी लोग पोलिस स्टेशन मे पोलिस इंस्पेक्टर भिजवाय के सामने हैं, और रामजी के खिलाफ़ कम्पलेन लिखवाते हैं,और वारदात पर मिली बंदूक की गोलियां, और मोबाईल से निकाले हुवे फोटो दिखाते है, वो रिश्वतखोर अफ़सर उन लोगों की फिर्याद तो लिख लेता है,और कहता आप लोग चिंता ना करो अब रामजी समझो गया अंदर...आगे क्या करना मै देखता हूँ, कह कर उन सब लोगों को चालाकी से जाने के लिए कहता सब चले जाते हैं !फिर भिजवाय और इंस्पेक्टर मांजे अपने सीनियर ऑफिसर देशमुख को मल्लाया के मर्डर के बारे मे सारी जानकारी देते हैं, देशमुख उन्हे तुरंत जगह का पंचनामा करने को कहता, वो गाँव के पोलिस पाटील को साथ ले जा कर पंचनामा करते हैं,ये ख़बर गाँव मे जंगल की आग की तरह फैल जाती है !
रामजी उस का बेटा पीरोजी और संस्था अध्यक्ष अरनालकर उन के सामने बहुत से पत्रकार बैठे हैं,नाश्ता चाय पानी लेने के बाद रामजी का एक बंदा पत्रकारो को एक एक बंद पाकीट देता हैं, फिर वो सब रामजी को नमशकार कर के निकलते हैं,इतने मे रामजी के पास पोलिस जीप आ कर रुकती है, पोलिस अफ़सर आये हैं,रामजी पीरोजी अरनालकर उन का स्वागत करते हैं, पोलिस इंस्पेक्टर भिजवाय-मांजे और सीनियर पोलिस अफ़सर देशमुख बैठे आपस मे बातचीत कर रहे हैं कि किस तरह से रामजी को केस से बचाया जा सके और उन्हे रास्ता भी मिल जाता रामजी को बचाने का ! देशमुख भी एक भ्रष्ट पोलिस अधिकारी है,वो अपने जूनियर को कहता पहले जो पंचेनामा किया गया उसे फाड़ कर कचरे के डिब्बे मे डाल दो,और फिर से नया पंचनामा करो,वहाँ से सब सबूत पहले खत्म कर दो हौसा बाई की नई कम्पलेन लिखो जिस मे उस के पति के गुम होने का ज़िक्र करो,और पोलिस पाटील का नाम गवाह मे डाल दो ! सीनियर पोलिस वाले देशमुख साहब के कहने के मुताबिक पंचनामा तैयार करते है, रामजी नोटों के दम से केस पूरा पलट कर रख देता है !
उलट आदिवासी कार्यकर्ता पथव्या गाँव के लोगों को धमका कर उन से पैसे मांगता और नहीं दिये उन के खिलाफ़ केस करने की भी धम्की देता,वो लोग हमारे खेतों मे चोरी करते हैं ! इस तरह एक नए षड्यंत्र की तैयारी रामजी और पोलिस वाले मिलकर करने मे लगे थे !
पथव्या ने जब देख लिया कि क़ानून के रखवाले हि क़ानून से खिलवाड़ कर रहे है रामजी का साथ दे रहे हैं, तो फिर मलल्या की पत्नी को इंसाफ दिलाने के लिए और रामजी और पीरोजी को उन के कर्मो की सज़ा दिलाने के लिए पथव्या मोर्चे के जरिये रास्ता रोको आंदोलन अंदमान फाटे पर शुरू करता, अंदमान फाटे पर सैंकड़ों आदिवासी जमा थे,उन के हाथों मे बनर ,पोस्टर, थे और वो रामजी- पीरोजी और भ्रष्ट पोलिस अधिकारियों के खिलाफ़ घोषणा दे रहे थे, जिस की वजह से रामजी और सरकारी महेक्मे मे खलबली मच जाती है.
रामजी और पोलिस इंस्पेक्टर भिजवाय-मांजे और डॉक्टर शिवदास पाटील ने पहले ही से भाड़े से लाये लोगों को जमा किए हुवे पत्थरों के ढ़ीग के पीछे छुपा कर बिठाया था,जैसे ही भिजाय ने उन को इशारा किया उन भाड़े के लोगों ने आदिवासियों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया, पोलिस ने आँसू गॅस के गोले छोड़े,और फिर आदिवासियों पर अंधाधुंद लाठी चार्ज किया गया,जानवरों की तरह उन्हे पीटा गया,और फिर फाइरिंग भी की गई जिस के कारण कई आदिवासी ज़ख्मी भी हुये,लोग अपनी जान बचा का इधर उधर भागने लगे,और पोलिस वालों ने कई आदिवासियों को गाड़ी मे भरना शुरू कर दिया था,और सब को पोलिस स्टेशन ले जाया गया था सुबह से शाम हो चुकी थी रास्ता रोको आंदोलन ख़त्म हो चुका था,रामजी और उस के पोलिस वाले अपने मिशन मे कामियाब हो चुके थे.
डॉक्टर शिवदास अपने कुछ लोगों के साथ आदिवासी बस्ती मे पहुँच कर आतंक मचाता है,उन की बहू बेटियों की इज्ज़त से खिलवाड़ करता है,मलल्या की पत्नी से उस का मासूम बच्चा छीन कर मार देता,बूढ़ो पर ज़ुल्म करता और उन की बस्ती मे आग भी लगा देता है,
इंस्पेक्टर मांजे-देशमुख साहब-भिजवाय-मिलकर सलाह मशवरा करते है कि केस किस तरह इन लोगों पर बनाई जाये और किस किस का नाम डाला जाये,उसी समय देशमुख की शैतानी खोपड़ी चलती और वो केस मे मास्टर विश्वाश और रवि का भी नाम डाल देता है, पोलिस इंस्पेक्टर भिजवाय और ज़्यादा केस को मजबूत बनाने के लिए विश्वाश और रवि को आदिवासियों का नेता बता कर, दोनों ने रास्ता रोको आंदोलन करवाने और आदिवासियों के सामने भड़काऊ भाषण बाज़ी करने, जिस के कारण पोलिस ने जब उसे रोकना चाहा तो पोलिस वालों को जान से मारने की कोशिश की गई, जबकि ये दोनों रास्ता रोको आंदोलन मे मौजूद ही नहीं थे! और इस तरह भिजवाय-धनबोले-देशमुख-अरनालकर-डॉक्टर शिवदास पाटील सब मिल कर विश्वाश और रवि के साथ साथ बहुत से आदिवासियों पर 307 कलम के अलावा और भी अलग अलग 20 धाराएँ लगा कर केस दाखिल करते हैं!जिस की खबर कोर्ट मे झाड़ू लगाने वाला युसूफ मास्टर को और रवि को ये खबर देता है,
गाँव के पोलिस पाटील से लेकर पोलिस वाले-तलाठी-आमदार-खासदार-यहाँ तक कि, मंत्री संत्री सारे भ्रष्टाचारी एक हो कर केस को एक नया मोड दे देते है,घटना है मलल्या के ख़ून की जो रामजी ने किया लेकिन अब केस पोलिस वालों की तरफ़ से या कह सकते है शाशन की तरफ़ से बे-गुनाह को गुनाहगार बता कर, केस का पहलू बदल कर फंसाया गया है.
और इस तरह केस सेशन कोर्ट मे चलती है,विश्वाश और रवि के साथ साथ बहुत से आदिवासी भी परेशान हैं,जज रवि को 20-के मुचलके पर जमानत देता है !
दूसरे दिन विश्वाश की जमानत 20 हज़ार रूपिये भर कर होना थी,लेकिन शाम हो चुकी थी पैसो का बंदोबस हो नहीं पा रहा था फिर गाँव का युसुफ और बेग पैसे जमा करते और विश्वाश को रवि कोर्ट से घर लाता है !
वैसे रामजी और पीरोज़ी को कोर्ट आने की कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी किंवकि रामजी ने किया हुआ ख़ून को पोलिस वाले दबाना चाहते थे,और विश्वाश और रवि को आदिवासी समाज सेवक बनने का सबक सीखा कर बदला लेना चाहते थे, किस तरह विश्वाश और रवि आदिवासियों नेता गिरि से दूर होगा ,पथव्या से दूर होगा,जिस मे किसी हद तक वो लोग कामियाब हो गए थे !
आखिर तक कोर्ट ने रामजी ने ख़ून किया उस का क्या हुआ ये कभी देखा नहीं कभी पूछा नहीं वो दूर से बैठ कर तमाशा देख रहा था !
आख़िरकार एक दिन कोर्ट ने सब को झूटे गवाहों और बोगस सुबूतों के आधार पर, बेक़ुसूर होने के कारण केस से बरी कर दिया, सच्चाई की जीत होगई ! सारे भ्रष्टाचारी मुंह ताकते रह गए !
Leading-chracters
1-विश्वाश पाटिल- (स्कूल मास्टर-रवि अन्ना का गहरा साथी-समाज सेवक)
2-रवि अन्ना- (वेल्डिंग वर्क शॉप चलाने वाला-समाज सेवक)
3 -रामजी- (गाँव का सावकार-हुकूम शाह-गाँव का ज़ालिम राजा)
4-पीरोज- (रामजी का बेटा जो बाप के नक्शेक़दम पर चलता है)
5-डॉक्टर शिवदास पाटील- (रामजी का बंदा-क्रप्ट)
6- अर्नाळकर (स्कूल संस्था चेरमेन)
7-पथव्या- (आदिवासी समाज सेवक)
8-रामजी की पत्नी
Introduction- रवि-वेल्डिंग वर्कशॉप चलाने वाला
रवि गाँव का पढ़ा लिखा नवजवान जिस की गाँव के स्कूल मास्टर विश्वाश से गहरी दोस्ती जमती है,किंव कि मास्टर और रवि के विचार एक दूसरे से बहुत मिलते है,और दोनों मे गाँव के किसी भी समाज के प्रति आदर और सम्मान होता है, दोनों मे इंसानियत कूट कूट कर भरी होती हैं, सर्विस ना मिलने की वजह से अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए वेल्डिंग वर्कशॉप चलाता है,रवि का वर्कशॉप गाँव के अच्छे-बुरे लोगों के टाईम पास करने का एक अड्डा है,जहाँ पर सुबह- शाम हमेशा गाँव के लोगों का जमघट लगा रहता है,लोग बैठ कर गप्पे हाँकते रहते हैं,पूरे गाँव की छोटी से छोटी, और बड़ी से बड़ी खबर वर्कशॉप से मालूम पड़ती है,जैसे वर्क शॉप ख़बरों की दुकान हो,वैसे रवि की अपने गाँव मे बे-हद इज़्ज़त है,किंव की वो गाँव के रहने वालों का सुख दुख का साथी है,गाँव के किसी भी बंदे के प्रोब्लेम को समय दे कर ईमानदारी से,लगन से मेहनत से हल करता है,उसी तरह गाँव मे आदिवासी लोगों की बस्ती भी है,रवि हमेशा आदिवासी समाज की तरक्की की,उन के काम धंधे की,उन की पढ़ाई की,हर समय उन की मदत के लिए आगे रहता है,जिस के कारण गाँव का एक वर्ग रवि से जलन और ठशन भी रखता है,मगर उस के बावजूद रवि हमेशा हर समाज कार्य मे रात हो दिन हो,आगे आगे रहता,ज़ात- पात के भेद भाव और सामाजिक बंधन से हट कर वो सामाजिक सेवा करना जानता है, उसे किसी की कोई बात की परवाह नहीं रहती कि,कोई उस के बारे मे क्या सोच रखता है.इसी कारण खासकर आदिवासी समाज रवि को अपना हमदर्द मानता है,किंव कि वो हमेशा आदिवासियों के हक़ के लिए उन्हे लड़ना सिखाता रहता है,इसी कारण गाँव के दबंग लोग रवि की आदिवासी समाज सेवा से खफा हो कर एक षड्यंत्र रच कर उसे कानूनी दांव पेच मे फसाते है,और उसे हर तरह से परेशान करने की कोशिश करते हैं,मगर वो अंजाम की परवाह ना करते हुवे,समाज कार्य से कभी पीछे नहीं हटता,और वो जानता है कि सच्चाई,ईमानदारी,मेहनत,और इंसानियत का मोल एक दिन अच्छा ही मिलता है,समय ज़रूर लगता है,पर सच्चाई की कसौटी पर उतरने के बाद.
Introduction- विश्वाश-स्कूल मास्टर
गाँव का सीधा साधा पढ़ा लिखा नौजवान विश्वाश एक स्कूल मास्टर है,नौकरी कर के ईमानदारी और मेहनत से अपने परिवार का पालन पोषण करता है,और नौकरी से समय निकाल कर समाज कार्य मे अपने आप को हमेशा झोंका रहता है,आदिवासियों को नये ज़माने की शिक्षा का ज्ञान देने वाला,गाँव मे अलग अलग संघटनाओं को मदत करने वाला,पहाड़ों और जंगलों मे बसने वाले आदिवासियों की मदत करने वाला,उन की समसस्याओं को हल करने वाला,वो चाहता था कि आदिवासियों के बच्चे भी स्कूल मे आये और शिक्षण ले,किंव कि जब तक उन मे एजुकेशन नही होगा, तब तक वो ना खुद बदल सकते ना, समाज परिवर्तन कर सकते थे,इस लिये मास्टर हमेशा उन को शिक्षण की ऐहमियत समझाता था,जिस के कारण गाँव मे प्रस्तापित लोगों की वो आँख का कंकर बना हुआ था,
गाँव मे वेल्डिंग वर्कशॉप चलाने वाले रवि से मास्टर की बड़ी गहरी दोस्ती है, किंवकि मास्टर और रवि के विचार एक दूसरे से बहुत मिलते है,दोनों मे गाँव के किसी भी समाज के प्रति आदर और सम्मान होता है,दोनों मे इंसानियत कूट कूट कर भरी होती हैं,मास्टर की गाँव मे बे-हद इज़्ज़त है,किंवकि वो गाँव के बसने वाले चाहे जो भी समाज को हो,उन के सुख दुख का साथी है,गाँव के किसी भी बंदे के प्रोब्लेम को समय दे कर ईमानदारी से,लगन से मेहनत से हल करता है.
गाँव मे आदिवासी लोगों की बस्ती भी है, मास्टर हमेशा आदिवासी समाज की तरक्की की,उन के काम धंधे की,उन की पढ़ाई की,हर समय उन की मदत के लिए आगे रहता है,जिस के कारण गाँव का एक वर्ग मास्टर और रवि से जलन और ठशन भी रखता है,मगर उस के बावजूद मास्टर और रवि हमेशा हर समाज कार्य मे रात हो दिन हो,आगे आगे रहते हैं,ज़ात- पात के भेद भाव और सामाजिक बंधन से हट कर वो सामाजिक सेवा करना जानते हैं ,मास्टर को कोई बात की परवाह नहीं रहती कि,कोई उस के बारे मे क्या सोच रखता है.इसी कारण खासकर आदिवासी समाज मास्टर और रवि को अपना हमदर्द मानता है,किंव कि वो हमेशा आदिवासियों के हक़ के लिए उन्हे लड़ना सिखाता रहता है,इसी कारण गाँव के दबंग लोग मास्टर और रवि की आदिवासी समाज सेवा से खफा हो कर, एक षड्यंत्र रच कर उन्हे कानूनी दांव पेच मे फंसाते हैं ,और मास्टर को हर तरह से परेशान करने की कोशिश करते हैं,मगर वो अंजाम की परवाह ना करते हुवे,समाज कार्य से कभी पीछे नहीं हटता,और वो जानता है कि, सच्चाई,ईमानदारी,मेहनत,और इंसानियत का मोल एक दिन अच्छा ही मिलता है,समय ज़रूर लगता है,पर सच्चाई को कसौटी पर उतरने के बाद. मास्टर और रवि दोनों की गहरी दोस्ती गाँव का हर बंदा जानता था,दोनों हमेशा साथ साथ आदिवासियों की मदत के लिये उन की बस्ती मे,जंगलों मे,पहाड़ों पर साथ साथ भटकते थे,ये हर कोई जानता था,किंव कि जब गाँव मे इन दोनों ने मराठा समाज का सम्मेलन कामयाबी से क्या तो मराठा समाज दोनों की समाज के प्रति लगन को देख कर बेहद खुश हुआ,लेकिन जब ये दोनों आदिवासी समाज के लिये भी उसी सच्ची लगन और ईमानदारी से उन की समसस्याओं को हल करते हैं तो,मराठा समाज मे इन दोनों के बारे मे शक पैदा होना शुरू हो जाता कि,आखिर ये दोनों मराठा है,हमारे है या उन आदिवासियों के,इस शक को लेकर गाँव मे चर्चा का विषय बना था.जबकि विश्वाश और रवि सिर्फ़ सच्चे तनमनधन से समाज सेवा करना चाहते थे.
Introduction-डॉक्टर शिवदास पाटील
डॉ.शिवदास पाटील रामजी के बेटे पीरोजी के सहारे अपनी ज़िंदगी बसर करने वाला-शराबी-कबाबी और नाच गानों की महफिलों मे जाने वाला,किसी तरह से डॉक्टर की नकली डिग्री ले कर गाँव मे डॉकट्री करने वाला है,चालाक,चतुर,मक्कार,बातूनी होने के कारण उस ने पीरोजी से अच्छी खासी दोस्ती बड़ा ली थी,जिस से उस का पीरोजी के घर मे दिन हो या रात हो,बिंदास आया जाया करता था.और उसी का फायदा उठा कर उस ने पीरोजी की बहन को भी नहीं छोड़ा था,ये बात रवि जानता था,ये खबर पीरोजी तक भी पाहुच चुकी थी,जिस के कारण पीरोजी की बहन की शादी जल्दी से करा दी गई थी,अब डॉक्टर को चान्स नहीं मिल रहा था,और ये बात गाँव मे सिर्फ़ रवि ही जानता था,इस लिये डॉक्टर को रवि से ठसन थी,मगर पीरोजी ने इस बात को दबा रखा था,और ना ही वो डॉक्टर से कुछ कहता था ख़मोश रहता था.किंवकि पीरोजी ख़ुद एक ऐय्याश लड़का था,जिसे ख़ुद डॉक्टर ऐय्याशी करने के लिये लड़कियां ला कर दिया करता था,और पीरोजी की कमज़ोरी से खुद भी फायदा उठाया करता था.गाँव की और भी बहुत सी लड़कियों की इज्ज़त से डॉक्टर खिलवाड़ कर चुका था,ये सब जानते थे.रामजी और पीरोजी के कहने पर डॉक्टर आदिवासी बस्ती मे जा कर आतंक फैलाता है,और हौसा बाई के मासूम बच्चे को छीन कर दिवार पे दे मारता जिस से बच्चे की मौत हो जाती,मगर डॉक्टर का आतंक रुकने का नाम नहीं लेता,कई आदिवासी औरतों की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ किया जाता,उन की बस्ती को आग लगा दी जाती,डॉक्टर होने के बा-वजूद शिवदास शैतान भी था,किंव कि उस के पीछे रामजी और पीरोजी की ताक़त रहती थी.
Introduction -रामजी-सावकार-गाँव का राजा
पहाड़ों के बीच बसा खूबसूरत गाँव जहाँ पर हर जाती धर्म के लोग बसे हैं,इसी गाँव मे रहने वाला रामजी, अपना गाँव और गाँव के आस-पास पूरे तालुके के बाहर भी रामजी एक बहुत ही अमीर सावकार के नाम से मशहूर है,उस के पास खेती करने के लिये सब कुछ आधुनिक साधन है, ट्रकटर,जीप,मोटर सायकल,बैल गाडियाँ,गाय-भैस ,ऊंचा पूरा-हट्टा कट्टा-मज़बूत शरीर का धनी,हमेशा अपने कंधे पर परवाने वाली बंदूक लटकाये अपने चेतक घोड़े पर बैठ कर अपनी सैकड़ों एकर खेती पर सैर सपाटे पर निकलने वाला, घूमने वाला रामजी,अपने खेतों और मललों मे जब कभी जाता तो, उसे देख कर खेतों मे काम कर रहे आदिवासी मजदूर थर थरा जाते थे,इस डर से कि ज़रा सी भी गलती अगर होगई तो रामजीकी बंदूक की गोली,उन की जान ले सकती है, इस लिये उस के डर और खौफ से सब मज़दूर ख़ामोशी से अपना अपना काम किया करते हैं,एक तरह से रामजी इलाके का हुकुमशाह है,वहाँ का ज़ुलूमशाह वहाँ का वो राजा ही है,जहां ज़्यादा लोग आदिवासी हैं.
लेकिन अपने गाँव से बाहेर रामजी अपने आप को एक सच्चा सामाजिक कार्यकर्ता,लोगों का सच्चा हमदर्द बता कर अपनी छबि बनाने की कोशिश भी करता है, समाज और सरकारी अफ़सरों की आँखों मे अपने आप को ईमानदार,सच्चा बता कर धूल भी झोंका करता है.
उस की एक मिसाल ये है कि, गाँव मे एक मंदिर बनाने का ठराव गाँव वालों की सम्मति से मंजूर करवा लेता है,और ये तै होता है कि, गाँव का हर बंदा मंदिर बनाने के लिये 5-5 हज़ार रूपिया देनगी देगा,गाँव के लोग रामजी कि बात सुन कर चींतीत हो गये,पर उस के सामने किसी की हिम्मत नहीं ज़बान खोलने की ,सब चुप रहे,फिर रामजी ने एक चाल चली, मंदिर खुद पैसा लगा कर बना दिया, और हर गाँव वाले के नाम 5-5 हज़ार रूपिया कर्ज़ लगा दिया,और कहा कि फसल आने पर 5% ब्याज के हिसाब से कर्ज़ वापस देना होगा.
गाँव के बाहर अफ़वाह फैला दी कि रामजी ने अपना पैसा खर्च कर के गाँव मे बहुत बड़ा मंदिर बनवाया है,लोगों मे उस की चर्चा होने लगी कि कितना भला आदमी है रामजी,पर सच्चाई कुछ और ही थी.
सरकारी अधिकारी,आमदार,खासदार को इलेकशन लड़ने के लिये लाखो रूपिया ब्याज से देने वाला,जो उस के रास्ते मे आया तो उसे अपने रास्ते से हटाने वाला,कई बार उस के रास्ते मे आने वालों को उस ने चुटकी मे मूंगी की तरह मसल कर रख दिया था,इस लिये कभी भी कोई उस के रास्ते मे आने की जुर्रत नहीं कर सकता था,
रामजी के आलीशान वाडे पर हमेशा तहसीलदार,कलेक्टर,पोलिस इंस्पेक्टर,सर्कल डी.वाय.एस.पी.लोगों का आना-जाना लगा रहता हैं,उन लोगों की ख़ातिर के लिये रामजी हज़ारों रूपिया खर्च किया करता है,जिस के कारण सरकारी अधिकारियों मे भी रामजी का अच्छा खासा दबदबा था,अगर किसी भी गाँव वाले ने, किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ़ कोई भी कंपलेंट की तो, रामजी अपने दबाव से उसे वो कंपलेंट वापस लेने लगाता था,उसे ना करने की किसी मे हिम्मत नहीं होती थी,जिस की वजह से सरकारी डिपार्टमेन्ट मे रामजी की और ज़्यादा इज्ज़त और दबदबा कायम हो जाता था.
ब्याज से हज़ारों रूपियों की कमाई 4/5 सौ एकर ज़मीन का धनी,कुछ सरकार की पहाड़ी ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाला,सरकार ने गाँव के आदिवासियों को दि हुई ज़मीन, उन से छीन कर अपना हक़ जताने वाला रामजी,जिस के कारण साल भर मे लाखों करोड़ों की हेराफेरी करने वाला रामजी,इसी लिये लोग कहते है कि,लक्ष्मी रामजी के यहाँ पानी भरती है.
Introduction- पथव्या –आदिवासी-कार्यकर्ता-
आदिवासी समाज का एक नौजवान लड़का और विश्वाश मास्टर का क़रीबी,जो मास्टर की संगत मे रह कर एजुकेशन की ऐहमियत को समझ कर कॉलेज तक पढ़ाई करने वाला,मास्टर हमेशा पथव्या को कहता था कि तू तेरी समाज के लिये कार्य कर,तेरे समाज को एजुकेशन कि ऐहमियत समझा,किंव कि तू खुद आदिवासी होने कि वजह से तू हम से बेहतर समसस्याओं को समझ सकता है,और तू खुद भी उन समसस्याओं का समाधान तलाश कर,और फिर इस तरह पथव्या मे समाज सेवा करने का जज़्बा तयार होता और वो अपने समाज की तरक़्क़ी कैसे हो इस सोच मे डूबा रहता था. और इस तरह वो एक आदिवासी संस्था रजिस्टर कर्ता है,और आश्रम स्कूल शुरू करता है,और इस तरह अब आदिवासी अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू करते हैं,और बच्चे तालीम लेना शुरू करते हैं. और इस तरह मास्टर की शागिर्दी मे पथव्या धीरे धीरे आदिवासियों का हीरो बन गया,अब आदिवासियों मे ये सूझ-बूझ पैदा होने लगी कि हमारे हक़ क्या है,किस तरह उच्च समाज हमारा सोशन करता है. अब जैसे जैसे पथव्या की संघटना तरक़्क़ी करने लगी,मजबूत होने लगी,वैसे वैसे गाँव के प्रस्तापित लोगों मे खलबली होने लगी.पथव्याने अपने तालुके के आस-पास के आदिवसियों को जमा कर के एक बहुत बड़ी संघटना बना ली थी,लेकिन जलन रखने वालों ने उल्टा पथव्या के खिलाफ़ लोगों को भड़काना शुरू कर दिया था.गाँव के सावकार रामजी ने आदिवासी मलल्या का खून कर के उस की लाश को ठिकाने लगा दिया था,मलल्या की पतनी को इंसाफ दिलाने के लिये पथव्या सैंकड़ों आदिवासियों को जमा कर रामजी की गिरफ़्तारी को लेकर,रास्ता रोको आंदोलन करने वाला था,पथव्या ने रामजी से पंगा ले लिया था,अब रामजी पथव्या और विश्वाश मास्टर और वर्कशॉप चलाने वाले रवि का कट्टर दुश्मन बन चुका था.किंवकि वो जानता था कि जो आदिवासी उस के सामने आँख नहीं उठाता था,वो आज आंदोलन करने लगा,वो सिर्फ मास्टर और रवि के बहकावे मे आ कर ,इस तरह रामजी इन तीनों को रास्ते से हटाने का षड्यंत्र रचता है .
Other characters
पोलिस इंस्पेक्टर-क्रप्टेड -भिजवाय-धनबोले-मंदाने-दाभाडे-
पोलिस आयुक्त- देशमुख
कमिशनर-रामराव
वकील-भोसले-घराने-डल्ला-माल्पानी-देशपांडे-
जज-फसवे
आदिवासी मंत्री-मेकड़
स्कूल मास्टर-वलवी- चान्ने
स्कूल कलार्क-देविदास
हेड मास्टर-नासले
स्कूल चपरासी-
प्रैस रिपोर्टेस-8/10
तलाठी अपपा-
होम मिनिस्टर-महाबल
पोलिस पाटिल-भवरे
तहसीलदार-
आदिवासी- मलल्या-(जिस का रामजी ख़ून करता)
दगढ्या-(जिस ने ख़ून होते देखा)
हौसा बाई-(मलल्या की पत्नी)
सर्जा-(रामजी का नौकर पाहुना-(दगड्या का )
सोमू-दामू-खरात-(रामजी का बॉडीगार्ड)
पिशव्या-
अर्नालकर का नौकर
द्वारकादास-(आदिवासी कार्यकर्ता)
संजय नहाने (सामाजिक कार्यकर्ता )
तुका पतील-(माजी-MLA)
बापू-(इंजीनियर)
ढोले-(मंडप वाला)
बापू-(गाँव का अमीर किसान)
माणिक राव-(शोरूम का मालीक)
तांगड़े (गेराज वाला)
युसूफ (कोर्ट मे सफ़ाई कामगार )
बैंक मेनजर
लायब्रेरियन
विडियो शूटिंग वाले
इलाके का आमदार
बापू-(विश्वाश मास्टर का ससुर)
किशोर-(मास्टर का मुंबोला भांजा)
यशवंत पाटिल(रवि का दोस्त)
डॉक्टर-(अरनालकर का बेटा)
युसूफ-(गाँव मे किराना दुकान चलाने वाला)
बेग-(गाँव मे सिमेंट दुकानदार)
12/13-साक्षीदार
रमा-(आदिवासी लड़की) शमा-(आदिवासी लड़की)
Introduction-अर्नाळकर- संस्था चालक-अध्यक्ष-
अर्नाळकर एक छोटे से गाँव का पाटील है,स्वभाव से घमंडी,गुस्से का तेज़,गाली गलोच से बात चीत करने वाला है,हर किसी इंसान को अपने से कमतर समझने वाला है,मतलब परस्त,खुदगर्ज़ इंसान है,कभी कभार इलेकशन भी लडता रहता है,इलेकशन लड़ने के लिये उसे रामजी रुपया पैसा देता रहता है,और ये बंदा गाँव मे एक स्कूल भी चालाता है, जिस का वो खुद ही चेअरमन है,उस के पोलिस अधिकारीयो से और मंत्री संत्री से भी अच्छे खासे संबंध है.जिन से फायदा उठा कर अपने काम करवाता रहता है,रामजी की मदत से अर्नाळकर कई बार इलेकशन जीत चुका है,जिस के कारण वो हुकूम शाह,जालिमशाह बन चुका है,गाँव के सावकार रामजी का हर अच्छे बुरे काम मे साथ देता रहता है,अपनी संस्था मे काम कर रहे लोगों को अपनी मर्ज़ी के हिसाब से नचाता रहता है.
Introduction -पीरोजी
रामजी सावकार का नौजवान खूखार, शराबी कबाबी और ऐय्याश बेटा है,जो अपने बाप के नक्शेकदम पर चलता है, और गाँव के गरीब और आदिवासी लोगों पर ज़ुल्म किया करता है,रामजी की तरह पीरोजी के सामने भी किसी को, आँख मिलाने की और ज़बान खोलने की हिम्मत नहीं होती है,लोगों को मारना काटना उस के लिये मामूली बात होती है,गाँव की भोली भाली लड़कियों के साथ डरा धमका कर रंगरलियाँ मनाना उस का सौक होता है,जो लड़की पसंद आजाये उसे उठा कर ले जाता था,पर किसी मे उसे रोकने की हिम्मत नहीं होती थी,जिस के कारण गाँव वाले अपनी बहू बेटियों को घर से बाहर निकलने नहीं देते थे,गाँव वाले उस के करतूत से परेशान थे,गाँव के आदिवासियों को हमेशा ज़हर की नज़रों से देखता था,और जहा मौका मिला उन पर ज़ुल्म ढाया करता था,वो पोलिस वालों को अपनी जेब मे लिये फिरता था,किसी भी पोलिस वाले की हिम्मत नहीं थी,उसे गलत काम की सज़ा दिलवाने की, या उसे गिरफ्तार करने की,सरकारी अफसर भ्रष्टाचारी और रिश्वत खोर था, इस लिये उस का डर खौफ़ और आतंक दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था. उसे नई नई बाईक,कार,जीप मे घूमने का भी बढ़ा शौक़ था,हमेशा उस के साथ मे 4/5 चेले चपाटे और डॉक्टर शिवदास भी उस के साथ हमेशा रहता था और ऐश किया करता था,अपने साथ ले कर घूमना,शराब पीना,ऐय्याशी करना,डांस बारों मे जा कर पैसा लुटाना उस का शौक़ था.मतलब हर तरह की बुराई पीरोजी मे कूट कूट कर भरी थी.किंवकि उस के पास धन दौलत और ताकत थी.
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